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नई दिल्ली : कृषि कानूनों Farm Laws 2020  को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है. शनिवार को 5वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही. इस बैठक में सरकार ने किसानों से और वक्त मांगा. अब 9 दिसंबर को सुबह 11 बजे फिर सरकार और किसान नेताओं की बातचीत होगी. लेकिन उससे पहले 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद बुलाया है. 

किसान नेताओं ने शनिवार की बैठक के बाद कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. हम (किसान) Farm Laws 2020  आपस में इस पर चर्चा करेंगे,

जिसके बाद उसी दिन उनके साथ बैठक होगी. वहीं, किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि हम कानून रद्द करा Farm Laws 2020 कर ही मानेंगे. इससे कम पर हम मानने वाले नहीं हैं.

किसान सरकार से अब हां या ना में जवाब चाह रहे हैं. शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में पांचवें दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता शांत बैठ गए थे जबकि मंत्री आपस में बात करने के लिए बाहर चले गए थे.

किसान नेता एक पन्ने पर हां या ना यानी यस या नो लिखकर बैठे थे. किसान संगठन के नेता बैठक में मंत्रियों के सामने यस या नो प्ले कार्ड लेकर बैठ गए. 

किसान संगठनों ने सरकार से कहा कि हमारे पास एक साल की सामग्री है. सरकार को तय करना है वो क्या चाहती है. किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि आप बता दीजिए कि आप हमारी मांग पूरी करेंगे या नहीं.

वार्ता के दौरान किसान नेता सरकार से बेहद नाराज नजर आए. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगों पर फैसला ले, नहीं तो हम बैठक से जा रहे हैं.

किसानों संगठनों के नेताओं ने बैठक में कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान का हवाला दिया. किसान नेताओं ने कहा कि नए कृषि कानूनों पर कनाडा के प्रधानमंत्री और वहां की संसद चर्चा कर रही है, लेकिन हमारी सरकार हमारी बात को नहीं सुन रही.

किसान संगठनों ने बैठक में कहा कि हम सरकार से चर्चा नहीं, ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में. अब तक बहुत चर्चा हो चुकी है. बैठक में सरकार ने कहा कि कानून रद्द करने के अलावा कोई और रास्ता निकाला जाए.

सरकार की तरफ से संशोधन की बात रखी गई. वहीं, दूसरी तरफ किसान नेता कृषि कानून रद्द कराने पर अड़े रहे. सरकार ने संशोधन का प्रस्ताव दिया, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया.

8 दिसंबर को भारत बंद

इस बीच किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान दस दिनों से डटे हुए हैं और तमाम मसलों को लेकर पांच बार केंद्र सरकार के साथ चर्चा हुई है. मगर अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आाया है.

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किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर ठोस भरोसा चाहते हैं. वहीं केंद्र सरकार कानूनों को वापस लेने की बात तो नहीं मान रही है लेकिन किसानों की कुछ ऐसी मांग हैं जिनपर सरकार राजी होती दिख रही है. 

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