सबसे पहले ट्रैक्टर Tractor का आविष्कार 1904 मे हूआ : Invention of Tractor Benjamin Leroy Holt and Charles Dinsmoor अमेरिकी आविष्कारक ने 19वी शतब्दी में किया था, पहले ‘बेंजामिन लेरॉय होल्ट’, Benjamin Leroy Holt और दूसरे आविष्कारक ‘चार्ल्स दिन्मूर’ Charles Dinsmoor है। इन दोनों ने अपना-अपना अलग-अलग ट्रैक्टर का निर्माण किया है
इतिहास (History)
सन 1892 में जान फ्रोलिक ने पहला पेट्रोल चालित ट्रैक्टर बनाया। इसके केवल दो ही ट्रैक्टर बिके। इसके बाद सन 1911 में ट्विन सिटी ट्रैक्टर इंजन कम्पनी Twin City Tractor Engine Company ने एक डिजाइन विकसित की जो सफल रही।
भाप इंजन Stem engine का आविष्कार एवं विकास अंतर्दहन इंजन से एक सौ वर्ष पहले हुआ था। उस समय ट्रैक्टर का व्यवहार केवल गाहने की मशीन (thresher) के चलाने में किया जाता था। भाप ट्रैक्टर में कुछ विकास होने के बाद इसका व्यवहार खेत को तैयार करने, बीज बोने और फसल काटने के लिए किया जाने लगा। कृषि के लिए भाप ट्रैक्टर उपयोगी सिद्ध नहीं हुआ, क्योंकि यह अत्यंत भारी एवं मंदगतिगामी (slow moving) था। इसके अतिरिक्त इसके लिय प्रचुर मात्रा में ईंधन एवं वाष्पित्र जल की अवश्यकता होती थी जिसकी देखभाल के लिए दूसरे आदमी की आवश्यता पड़ती थी।
भाप-ट्रैक्टर की इन त्रुटियों के कारण अन्वेषकों का ध्यान अंतर्दहन इंजन की ओर आकर्षित हुआ। 19वीं शताब्दी के अंत में प्रथम गैस ट्रैक्टर का निर्माण किया गया। 1905 ई. तक गैस ट्रैक्टर का व्यवहार खेतों में होने लगा। इसमें चार पहियों पर स्थित भारी पंजर (frame) पर एक बड़ा सिलिंडर गैस ईजंन लगा हुआ था। भाप ट्रैक्टर की तरह यह भी भारी भरकम था। इसमें ईंधन, जल आदि कम मात्रा में लगता था और एक ही आदमी पूरे यंत्र को नियंत्रित और संचालित कर सकता था। 1910 ईं. के लगभग अभिकल्पियों का ध्यान हल्के गैस ट्रैक्टर के निर्माण की ओर गया। 1913 ई. से दो एवं चार सिलिंडरोंवाले इंजन के हल्के गैस ट्रैक्टरों का निर्माण किया जाने लगा। उसके बाद विभिन्न प्रकर के गैस ट्रैक्टर का निर्माण किया जाने लगा, तब विभिन्न प्रकार के गैस ट्रैक्टर बनाए गए।
प्रथम डीजल इंजन युक्त ट्रैक्टर का निर्माण 1931 ई. में किया गया। यद्यपि इस तरह के ट्रैक्टर का दाम अधिक था। फिर भी अनेक गुणों के कारण इसकी माँग अधिक थी। ट्रैक्टर में निम्नदाब वायवीय टायर का व्यवहार सर्वप्रथम 1932 ई. में हुआ था। आजकल भी ट्रैक्टर के विकास के लिये अन्वेषण कार्य हो रहे हैं।
कर्षण एवं स्वयंचालन के तरीकों के अनुसार
कर्षण एवं स्वयंचालन (self-propulsion) के तरीकों के अनुसार ट्रैक्टर के दो भेद हैं:
1. चक्र टैक्टर (Wheel tractor)- यह ट्रैक्टर बड़े महत्व का और कृषि संबंधी कार्यों के लिये अत्यंत उपयोगी है। चक्र ट्रैक्टर या तो तीन पहिएवाला होता है या चार पहिएवाला।
2. लीक प्रकार के ट्रैक्टर (Track-type tractor) ऐसे ट्रैक्टर के कर्षण यंत्र विन्यास में दो भारी पटरियाँ (Tracks) लगी रहती हैं। इसमें लोहे के दो पहियों का व्यवहार होता है जिनमें से एक चालक (driver) का कार्य करता है दूसरा मंदक (idler) की तरह होता है। यह ट्रैक्टर भारी कार्य, जैसे बाँध के निर्माण और अन्य औद्योगिक कार्यों के लिये बड़े पैमाने पर व्यवहृत होता है। कृषि में इसका व्यवहार कम है।
ट्रैक्टर की बनावट : stracture of Tractor
सभी ट्रैक्टरों में निम्नलिखित तीन भाग होते हैं:
1. इंजन और उसके साधन
2. शक्ति पारेषण प्रणाली (power transmitting system),
3. चेजिस (chassis)
भारत में ट्रैक्टर का आविष्कार: Invention of Tractor in India:
भारत को सर्वाधिक कृषि क्षेत्र agricultural sector वाला देश कहा जाता है और ऐसे में जाहिर सी बात है कि भारत में ट्रैक्टर की उपयोगिता use भी अधिक है।
भारत में ट्रैक्टर का उपयोग स्वतंत्रता के बाद शुरू हुई, जो कि ‘हरित क्रांति‘ Green revolution के कारण हुई थी।
इस क्रांति के बाद भारत में ट्रैक्टर की उपयोगिता बढ़ती गई और भारत में ट्रैक्टरों का आविष्कार 1950 से लेकर के 1960 के दशक में शुरू हुआ।
भारत में सबसे पहले HMT, आयशर, एस्कॉर्ट्स, टेफे, और महिंद्रा कंपनियों Mahindra Company के ट्रैक्टर का उपयोग किया जाता था।
ट्रैक्टर का हिंदी नाम
ट्रैक्टर को हिंदी में कर्षित्र कहा जाता है। ट्रैक्टर एक ऐसा उपकरण है जो कि कृषि क्षेत्रों के लिए काफी ज्यादा उपयोगी माना जाता है। यह खेतीबाड़ी से जुड़े हुए अधिक से अधिक कामो को कम समय में करने में मदद करता है।