
Congress on Adani: कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि अडाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए उसके साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनियों के खिलाफ़ सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग का इस्तेमाल किया गया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सरकार के क़रीबी उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर भारत में असमानता ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है. कुछ महीने पहले अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की एक रिपोर्ट में अडाणी समूह पर कारोबारी गतिविधियों में अनियमितता का आरोप लगाया गया था. इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है. हालांकि, अडाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था.
कंपनी को मिला ‘मोदी-मेड रेड्स’ का लाभ
जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी और अडाणी के संबंधों पर ‘हम अडाणी के हैं कौन’ अभियान चलाया था. हमने बताया था कि अडाणी ग्रुप ने कैसे बार-बार जांच एजेंसियों द्वारा अपनी प्रतिस्पर्धा वाली कंपनियों पर डाली गई मोदी-मेड रेड्स का लाभ उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हवाई अड्डे, बंदरगाह और हाल ही में सीमेंट जैसे क्षेत्रों में बहुमूल्य संपत्तियों को हासिल करने के लिए अडाणी के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनियों पर सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग के छापे पड़े हैं। एजेंसियों की छापेमारी के बाद ये कंपनियां बोली लगाने से ख़ुद को अलग कर लेती हैं और संपत्ति अंततः अडाणी के पास चली जाती है.’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने क्या कहा?
जयराम रमेश ने दावा किया, ‘‘ताज़ा मामला अडाणी के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट्स द्वारा सांघी इंडस्ट्रीज़ के अधिग्रहण का है. 28 अप्रैल 2023 को भारत की तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट उत्पादक श्री सीमेंट द्वारा सांघी इंडस्ट्रीज़ का अधिग्रहण करने के लिए बातचीत की ख़बर आती है. 21 जून, 2023 को आयकर विभाग श्री सीमेंट के ख़िलाफ़ पांच स्थानों पर छापेमारी शुरू कर देता है. 19 जुलाई, 2023 को श्री सीमेंट सांघी इंडस्ट्रीज़ के अधिग्रहण की दौड़ से बाहर हो जाती है.’’ उन्होंने कहा कि 3 अगस्त 2023 को अडाणी के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट्स ने घोषणा की कि उसने सांघी इंडस्ट्रीज़ का अधिग्रहण कर लिया है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘हमें पूरी उम्मीद है कि पिछले मामलों की तरह इस बार भी प्रवर्तकों पर इससे इनकार करने के लिए दबाव डाला जाएगा कि छापों ने बोली से हटने के उनके फ़ैसले को प्रभावित किया है. लेकिन सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता है.’’