hindi-diwas-2022-why-we-celebrate-hindi-diwas-know-its-history-and-significance-by-Mehraj-Patel
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लेखिका श्रीमती मेहराज इसाक पटेल  

Hindi Diwas 2022: हर साल की तरह इस साल भी आज 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2022) मनाया जा रहा है. साल 1949 में इसी दिन देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था. हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविन्द दास के साथ-साथ व्यौहार राजेंद्र सिम्हा के प्रयासों की बदौलत भारत गणराज्य की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक हिन्दी को अपनाया गया था

14 सितंबर 1949 को व्यौहार राजेंद्र सिम्हा के 50 वें जन्मदिन पर हिंदी को आधिकारिक भाषा (Official Language) के रूप में अपनाया गया और इसके बाद प्रचार-प्रसार को आगे बढ़ाने के प्रयासों में तेजी आई. भारत के संविधान द्वारा 26 जनवरी 1950 को यह निर्णय लागू किया गया था. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (Article 343) के तहत देवनागरी लिपि (Devanagari Script) में लिखी गई हिन्दी (120 से अधिक भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली लिपि) को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था.

भारत की कुल मिलाकर 20 से ज्यादा अनुसूचित भाषाएं हैं, जिनमें से दो हिन्दी और अंग्रेजी को आधिकारिक तौर पर संघ स्तर पर उपयोग किया जाता है. देशभर में हिन्दी लगभग 32 करोड़ से ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है. वहीं, 27 करोड़ से ज्यादा लोग अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. इस दिन राजभाषा पुरस्कारों से मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और राष्ट्रीयकृत बैंकों को सम्मानित किया जाता है. ग्रामीण भारत में भी केवल अंग्रेजी और हिन्दी में बैंक चालान उपलब्ध कराया जाता है.

बता दें कि गृह मंत्रालय ने 25 मार्च 2015 के अपने आदेश में हिन्दी दिवस पर प्रतिवर्ष दिए जाने वाले दो पुरस्कारों के नाम बदल दिए थे. 1986 में स्थापित इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार को बदलकर ‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’ और राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार को बदलकर राजभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया था.

हिंदी दिवस का इतिहास और महत्व राजेंद्र सिम्हा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास जैसे दिग्गजों ने भारत की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के लिए हिंदी के पक्ष में कड़ी पैरवी की। 14 सितंबर 1949 को हिंदी विद्वान राजेंद्र सिम्हा के 50वें जन्मदिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया।

>>भारत में हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी दिवस हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाती है और अपने समृद्ध इतिहास और सामाजिक-राजनीतिक महत्व को प्रदर्शित करती है।

>>इंडो-आर्यन भाषा के सन्दर्भ में भारत की संविधान सभा ने 1949 में नवगठित राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को मान्यता दी थी।

>>जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो सरकार द्वारा भाषा की पहुँच को व्यापक बनाने के प्रयास किए गए। लेकिन उससे ठीक पहले 1925 में अपने कराची अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने हिंदुस्तानी – हिंदी और उर्दू भाषा को एक साथ मिलाने का फैसला किया था।

>लेकिन बाद में संशोधित किया गया और हिंदी साहित्य सम्मेलन में यह सुझाव दिया गया था कि अकेले हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाया जाए।

>>एक भाषा के रूप में हिंदी न केवल सम्मान का आदेश देती है, बल्कि व्यापक रूप से बोली जाती है। 

>>हम हिंदी दिवस मनाते हैं क्योंकि 2011 की जनगणना के अनुसार हम भारत में 43.6 प्रतिशत वक्ताओं द्वारा बोली जाने वाली भाषा के महत्व को स्वीकार करते हैं, जो हिंदी को मातृभाषा के रूप में पहचानते हैं।

>> हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। देश के लगभग 78% लोग हिंदी बोलते और समझते हैं।

>>हिंदी के बारे में सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि “हिंदी” मूल रूप से एक फारसी भाषा का शब्द है और पहली हिंदी कविता प्रख्यात कवि “अमीर खुसरो” द्वारा लिखी गई थी।

>>आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिंदी भाषा के इतिहास पर पहला साहित्य एक फ्रांसीसी लेखक “ग्रेसिम द तासी” द्वारा रचा गया था।

>>1977 में पहली बार विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था।

>>नमस्ते शब्द हिंदी भाषा में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।

>>1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में महात्मा गांधी ने पहली बार हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की बात की। गांधीजी ने हिंदी को जनता की भाषा भी कहा था।

>>26 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। 

>>हर साल 14 सितंबर से 21 सितंबर तक हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा सप्ताह या हिंदी सप्ताह मनाया जाता है। इस सप्ताह में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

>>हिंदी के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए हिंदी दिवस पर भाषा सम्मान देना शुरू किया गया था।

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