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नई दिल्ली : कांग्रेस (Congress) ने अदाणी विवाद से जुड़ी किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जांच समिति से करने के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के तर्कों को खारिज करते हुए आरोप लगाया है कि उनका बयान अदाणी समूह को बचाने का प्रयास है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति की जांच के दायरे में अदाणी समूह पर लगे हेर-फेर की जांच का विषय शामिल ही नहीं है और गृहमंत्री का बयान देश के लोगों को गुमराह करने वाला है।

जयराम रमेश ने केंद्र से पूछे कई सवाल

संसद में अदाणी मुद्दे पर जारी घमासान के दौरान भी ‘हम अदाणी के हैं कौन’ श्रृंखला की 32वीं किस्त के तहत जयराम रमेश ने गृहमंत्री के शुक्रवार को की गई एक टिप्पणी का हवाला देते हुए शनिवार को सरकार पर तीन सवाल दागे। उनके मुताबिक, अमित शाह ने कहा है कि जिस किसी के पास अदाणी समूह से संबंधित गलत काम करने का सबूत है, वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त ‘विशेषज्ञ समिति’ में उसे रखने के लिए स्वतंत्र है, जबकि सुप्रीम कोर्ट की समिति के मैंडेट में अदाणी समूह पर हेर-फेर के लगे मुख्य आरोपों की जांच इसके दायेर में शामिल ही नहीं है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि शेयर बाजार में अस्थिरता के प्रासंगिक कारणों व मौजूदा स्थिति का समग्र मूल्यांकन, निवेशक जागरूकता मजबूत करने के उपाय सुझाने, अदाणी समूह या अन्य कंपनियों के संबंध में शेयर बाजार से संबंधित कानूनों के कथित उल्लंघन से निपटने में नियामक विफलताओं की जांच तक ही विशषेज्ञ समिति का दायरा है।

जयराम रमेश ने सरकार पर लगाया आरोप

जयराम ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नियामक संस्थाओं और जांच एजेंसियों पर सत्ता के करीबी पूंजीपतियों के गलत काम से आंख मूंद लेने का दबाव है। इसमें मसला चाहे वह शेल कंपनियों के माध्यम से मनी-लॉन्ड्रिंग हो या चीनी नागरिकों के साथ संदिग्ध संबंध का हो या फिर उपभोक्ताओं और करदाताओं की कीमत पर बंदरगाहों, हवाई अड्डों, रक्षा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अदाणी समूह को कारोबार का एकाधिकार देना हो।

 पेगासस मालवेयर का दिया हवाला

गृहमंत्री के बयान के संदर्भ में कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि अदाणी समूह को दी गई इन रियायतों के बावजूद उनके करीबी सहयोगी गृहमंत्री सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति को लेकर जनता को गुमराह क्यों कर रहे हैं? दूसरा सवाल किया विशेषज्ञ समिति के पास सेबी और किसी अन्य जांच एजेंसी द्वारा की जाने वाली जांच से लेकर साक्ष्य देने के लिए मजबूर करने या गवाहों से जिरह की शक्ति नहीं है तो संपूर्ण मामले की जांच कैसे होगी? यह देखते हुए कि पेगासस मालवेयर मामले की जांच करने वाली सुप्रीम कोर्ट की समिति के साथ केंद्र सरकार ने सहयोग करने से इन्कार कर दिया था।

 दो माह में रिपोर्ट देने का आग्रह

जयराम ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि विशेषज्ञ समिति के सीमित जांच रिपोर्ट दो महीने में ‘सीलबंद कवर’ में कम से कम दे पर जब जुलाई 2022 में आयी पेगासस जांच रिपोर्ट का अब तक खुलासा नहीं हुआ है तो क्या गारंटी कि अदाणी मामले की विशेषज्ञ जांच रिपोर्ट का ऐसा हश्र नहीं होगा?

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