Repeated firing by MLAs at police station is 'Jungle Raj'! Do the fathers of criminals live in 'Sagar' bungalow?; Congress question
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मुंबई:आसमानी संकट और बेमौसम बारिश से प्रदेश के किसान भारी मुसीबत में फंस गए हैं और वे भाजपा सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है लेकिन इस सरकार को किसानों का दर्द नजर नहीं आ रहा है। भाजपा सरकार के कारण किसानों के सामने  अपने अंग बेचने की नौबत आ गई है लेकिन इसका कोई असर महाराष्ट्र सरकार पर नहीं हो रहा है। राज्य के किसान मुंबई में सरकार के दरबार से मदद की आस लगाए बैठे हैं।

वित्त मंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार से 2500 करोड़ रुपए मांगे हैं, लेकिन सरकार के पास विज्ञापन और इवेंट पर करोड़ों रुपए बर्बाद करने के लिए पैसा है लेकिन किसानों को देने के लिए नहीं है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने चेतावनी दी है कि सरकार के इस रवैए को लेकर किसानों में भारी नाराजगी है और वे सही समय आने पर इसका करारा जवाब देंगे।

सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय तिलक भवन में मीडिया से बात करते हुए नाना पटोले ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि जहां सूखे ने किसानों की कमर तोड़ दी है, वहीं दो दिनों में हुई बेमौसम बारिश ने फिर से फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। किसान इस वर्ष फसल की दोनों सीजन बर्बाद हो जाने से हताश हो गए हैं। कई इलाकों में हालत ख़राब होने के बाद प्रभावित जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की जा रही है लेकिन भाजपा सरकार इस पर राजनीति कर रही है। सरकार को संकट में फंसे किसानों की मदद करनी चाहिए और उन्हें संकट से बाहर निकालना चाहिए, लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। भाजपा सरकार किसान विरोधी है। नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस इस सत्र में सरकार से सवाल कर किसानों की मदद करने की मांग को जोर – शोर से उठाएगी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने किसानों से आग्रह किया है कि वे कोई भी अतिवादी कदम न उठाएं।

शिंदे कमेटी पर खुद वरिष्ठ मंत्री ने आपत्ति जताई थी.

एक सवाल का जवाब देते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे पर बीजेपी सरकार ने शिंदे कमेटी बनाई है, लेकिन सरकार के हीं एक वरिष्ठ मंत्री ही सार्वजनिक तौर पर इस कमेटी पर आपत्ति जता रहे हैं। इससे लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है। मूल रूप से पहले से निरगुडे समिति काम कर रही थी। ऐसे में शिंदे समिति नियुक्त करने की क्या आवश्यकता थी? माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण प्रश्न पर गायकवाड़ कमेटी की रिपोर्ट खारिज कर दी है। ऐसा लगता है कि राज्य की त्रिपक्षीय सरकार ने आरक्षण का खेल रचा है। क्या सरकार को लगता है कि मराठा आरक्षण का मुद्दा आसान है? ऐसा सवाल उठाकर सरकार जानबूझ कर मराठा-ओबीसी विवाद को हवा दे रही है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरनाक होने वाला है। भाजपा सरकार को आरक्षण मुद्दे पर स्पष्ट और ठोस रुख अपनाते हुए जातिवार जनगणना करानी चाहिए। बिहार और छत्तीसगढ़ सरकार जातिवार जनगणना करा सकती है तो फिर महाराष्ट्र सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती। इस सरकार को राज्य की जनता को यह जवाब देना चाहिए।

 

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