मुंबई : अयोध्या में राम मंदिर Ayodhya Ram Mandir का निर्माण अभी तक पूरा नहीं होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना कद बढ़ाने की जल्दी में है। यहां तक कि हिंदू धर्म के सर्वोच्च गुरु शंकराचार्य ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अधूरे मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा करना गलत है। लेकिन बीजेपी के लोगों को शंकराचार्य का यह बयान रास नहीं आ रहा है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने इसमें एक कदम आगे बढ़ाते हुए शंकराचार्य के योगदानों पर सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसा प्रश्न पूछकर राणे ने शंकराचार्य और हिंदू धर्म का अपमान किया गया है। शंकराचार्य का योगदान पूछने वाले श्री नारायण राणे का सबसे पहले अपने योगदान के बारे में बताना चाहिए। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने करारा तंज कसते हुए कहा है कि राणे की उम्र को देखते हुए अब उन्हें वानप्रस्थाश्रम का रास्ता अपनाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और बीजेपी के बारे में बात करते हुए अतुल लोंढे ने आगे कहा कि नारायण राणे राजनीतिक स्वार्थ के लिए शिवसेना से कांग्रेस और फिर बीजेपी में चले गए हैं। बीजेपी में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के अलावा कोई चारा नहीं है। मोदी को खुश करने के लिए राणे हिंदू धर्म के सर्वोच्च पद पर आसीन शंकराचार्य से उनके योगदान पर सवाल कर रहे हैं। उन्होंने ऐसा सवाल पूछकर सारी हदें पार कर दी हैं। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कहीं भी किसी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने कभी भी बड़ों का अपमान नहीं किया। यहां तक कि जब श्रीराम सत्ता में आए तो उन्होंने सत्ता त्याग दी और 14 वर्ष वनवास में बिताए। अतुल लोंढे ने कहा कि नारायण राणे जैसे लोग हिंदू धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं। ऐसे लोग हिंदू धर्म पर कलंक हैं। हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार 51 से 75 वर्ष की आयु के बीच का समय वानप्रस्थाश्रम में व्यतीत करना होता है। इस दौरान सभी क्षेत्रों से निकलकर सामाजिक कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। नारायण राणे की उम्र 71 साल है। ऐसे में उन्हें भी वानप्रस्थाश्रम के मार्ग पर चलने पर विचार करना चाहिए । प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि क्या शंकराचार्य का अपमान करने वाले नारायण राणे पर बीजेपी कार्रवाई करेगी?
अतुल लोंढे ने कहा कि हर कोई चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर बने। कोई सीके विरोध में नहीं है । लेकिन यह धर्म हित का विषय है, राजनीति का नहीं। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी धर्म को राजनीति में लाने और मंदिर के बहाने राजनीतिक हित साधने की जल्दी में है। यह सब लोकसभा चुनाव से पहले वोट मांगने के लिए चल रहा है। बीजेपी पिछले 10 साल के कामों पर वोट नहीं मांग सकती क्योंकि उन्होंने लोगों को बताने के लिए कुछ भी नहीं किया है। इसलिए राम के नाम पर वोट मांगना बेकार है। लोंढे ने यह भी कहा कि राम मंदिर के लिए एक स्वतंत्र ट्रस्ट है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को अपना निजी कार्यक्रम बना लिया है।