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Uttarkashi Disaster Day 16: उत्तरकाशी में टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन आज 16वें दिन में पहुच गया है. सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ चल रही है और करीब 31 मीटर खुदाई कर ली गई है. माना जा रहा है श्रमिकों तक वर्टिकल खुदाई गुरूवार तक पूरी तर ली जाएगी. वर्टिकल ड्रिलिंग उन 5 विकल्पों में से एक है जिन पर कुछ दिन पहले काम शुरू किया गया था.

अधिकारियों ने यहां बताया कि हॉरिजोंटल ड्रिलिंग कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के एक दिन बाद वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ शुरू की गयी है. उन्होंने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें कुल 4 दिन का समय लगेगा. राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद का कहना है कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा शुरू की गयी वर्टिकल ड्रिलिंग का काम जोर-शोर से चल रहा है और अगर बिना किसी अड़चन के यह इसी तरह चलता रहा तो गुरूवार तक खत्म  हो जाएगा.

 700 मिमी पाइप के जरिए रेस्यू किस

एस्केप पैसेज बनाने के लिए ‘ड्रिलिंग’ करके 700 मिमी पाइप मलबे के अंदर डाले जा रहे हैं . इससे कुछ दूरी पर, इससे पतले 200 मिमी डायमीटर के पाइप अंदर डाले जा रहे हैं जो 70 मीटर तक पहुंच चुके हैं. सुरंग के सिलक्यारा छोर से अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए की गयी हॉरिजोंटल ‘ड्रिलिंग’ में बार-बार व्यवधाान आने के बाद वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ के विकल्प को श्रमिकों तक पहुंचने के लिए चुना गया. सुरंग में अनुमानित 60 मीटर क्षेत्र में मलबा फैला है.

ऑगर मशीन के शेष हिस्से भी निकाले गए

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले दो सप्ताह से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए की जा रही ड्रिलिंग के दौरान मलबे में फंसे अमेरिकी ऑगर मशीन के शेष हिस्से भी सोमवार सुबह बाहर निकाल लिए गए. बता दें कि सुरंग के सिलक्यारा छोर से 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए चल रही क्षैतिज ड्रिलिंग में ताजा अवरोध शुक्रवार शाम को आया जब उसके ब्लेड मलबे में फंस गए. अधिकारियों ने यहां बताया कि फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अब हाथ से ड्रिलिंग की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस एस सन्धु घटनास्थल पर चल रहे बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए सोमवार को सिलक्यारा पहुंचेंगे.

अन्य विकल्पों पर भी काम

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि अन्य विकल्पों पर भी काम चल रहा है. उन्होंने बताया कि सुरंग के बड़कोट छोर से भी ड्रिलिंग चल रही है और अब तक 10 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है. इस ओर से कुल 483 मीटर ड्रिलिंग की जानी है और इसमें 40 दिन भी लग सकते हैं. सिलक्यारा सुरंग परियोजना के निर्माण के शुरूआती चरण में बनाई जाने वाली ‘एस्केप टनल’ के अभाव के बारे में पूछे जाने पर अहमद ने कहा कि उन्होंने भी इस पहलू के बारे में सोचा है. उन्होंने कहा कि इस सब की जांच के लिए एक समिति गठित की गयी है. लेकिन फिलहाल हमारी पहली प्राथमिकता फंसे श्रमिकों को जल्द से जल्द बाहर निकालना है.

एनएचआईडीसीएल इस परियोजना का निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड के जरिए कर रही है. फंसे हुए श्रमिक सुरंग के तैयार दो किलोमीटर के तैयार हिस्से में हैं जहां उनतक छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खाना,पानी, दवाइयां तथा अन्य जरूरी सामान भेजा जा रहा है. इसी पाइपलाइन में एक संचार तंत्र भी स्थापित किया गया है जिसके जरिए अधिकारियों और बचावकर्मियों के साथ ही श्रमिकों के परिजन भी उनसे बात करते हैं.

क्या् कहना है परिजनों का

सुरंग के बाहर इंतजार कर रहे फंसे श्रमिकों के परिजनों की अपनों को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के एक खेतिहर मजदूर चौधरी ने कहा कि एक बार उनका पुत्र सुरंग से बाहर आ जाए तो वह उसे यहां फिर कभी काम नहीं करने देंगे. उनका पुत्र मंजीत उन 41 श्रमिकों में शामिल है जो 12 नवंबर से सुरंग में फंसा हुआ है. प्रशासन ने श्रमिकों के परिजनों के लिए सुरंग के बाहर एक शिविर स्थापित किया है. उनकी प्रतिदिन सुरंग में फंसे श्रमिकों से बात कराई जाती है.

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