इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट Allahabad-high-court अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस Babri Masjid case मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा. ये याचिका 8 जनवरी को अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद और सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल की गई है.
याचिका पर सुनवाई हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा की जाएगी. दो अयोध्या निवासियों की ओर से अधिवक्ता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य जफरयाब जिलानी की ओर से दायर याचिका को मंगलवार को न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की पीठ के सामने लिस्ट किया गया.
जिलानी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी हैं. जिलानी ने कहा कि उन्हें कोर्ट का रुख इसलिए करना पड़ा क्योंकि पिछले साल आए इस मामले में फैसले के खिलाफ सीबीआई ने अब तक अपील दाखिल नहीं की है.
32 अभियुक्तों को बरी करने के विशेष कोर्ट के फैसले को गलत बताया
याचिका में विवादित ढांचा विध्वंस मामले के 30 सितंबर 2020 के सीबीआई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 अभियुक्तों को बरी करने के विशेष कोर्ट के फैसले को गलत और तथ्यों के विपरीत बताया गया है.
रिव्यू पिटिशन में अयोध्या निवासी दोनों याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि याचीगण इस मामले में गवाह होने के साथ–साथ विवादित ढांचा विध्वंस की घटना के पीड़ित भी हैं. याचिका में सभी 32 अभियुक्तों को दोषी करार दिए जाने की मांग की गई है. बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को ‘कार सेवकों’ ने ढहा दिया था.
30 सितंबर 2020 को बरी कर दिया था
इस मामले में 30 सितंबर 2020 को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, साक्षी महाराज, लल्लू सिंह, बृजभूषण शरण सिंह और महंत नृत्य गोपाल दास समेत सभी जीवित 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया था.