April Fool Day special: हर साल की तरह इस बार भी ‘अप्रैल फूल डे’ 1 अप्रैल यानी शनिवार को मनाया जाएगा. यह एक एनुअल प्रथा है जिसमें लोग एक-दूसरे से शरारत करते हैं और अच्छी हंसी-ठिठोली के लिए एक दायरे में रहते हुए मजाक करते हैं. कई लोग आज के दिन बकायदा प्लानिंग करते हैं कि उन्हें अपने दोस्तो और परिवार के साथ कैसे मजाक करना है. हम यह भी कह सकते हैं कि आज के दिन लोग अपनों के साथ प्रैंक करते हैं.
अप्रैल फूल के पीछे की कहानी
इतिहासकारों के अनुसार पोप ग्रेगरी XIII द्वारा 1952 में ग्रेगोरियन कैलेंडर पेश करने के बाद से यह दिन मनाया जाने लगा. उन्होंने फैसला सुनाया कि नया कैलेंडर 1 जनवरी से शुरू होगा. इससे पहले, नया साल मार्च के अंत में मनाया जाता था. ऐसा माना जाता है कि 1 अप्रैल को, जब कैलेंडर को जूलियन से ग्रेगोरियन में बदलने की शुरुआत हुई तब लोगों ने अप्रैल फूल डे मनाना शुरू किया.
क्यों मनाते हैं अप्रैल फूल
हालांकि कई लोगों ने इस बदलाव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और जूलियन कैलेंडर का पालन करना जारी रखा. लेकिन फ्रांस नए कैलेंडर को स्वीकार करने और लागू करने वाला पहला देश बन गया. इसका सामान्य निष्कर्ष यह था कि जिन लोगों ने नए कैलेंडर का पालन करने से इनकार कर दिया उन्हें मूर्ख माना गया और जिन्होंने ऐसा किया उनका मजाक उड़ाया गया.
भारत में कब हुई शुरुआत
दुनियाभर में लोग इस दिन को खास मानते हैं. ऑफिस का स्ट्रेस हो, पुरानी रंजिशें हों, परिवार में रिश्तों में आया कोई खटास हो, आप इस दिन हंसी-ठिठोली कर के सबकुछ ठीक कर सकते हैं. 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाने के अलग-अलग तरीके हैं. कई देशों में जैसे ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड न्यूजीलैंड समेत अधिकतर यूरोपीय देशों में अप्रैल फूल डे सिर्फ 12 बजे तक ही मनाया जाता है. वहीं, कनाडा, अमेरिका, रूस और बाकी यूरोपीय देशों में 1 अप्रैल को दिनभर अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. रिपोर्ट्स की माने तो भारत में यह कब शुरू हुआ इसका कोई वास्तविक डेटा नहीं है. हालांकि कई लोग मानते हैं कि भारत में इस दिन की शुरुआत 19वीं सदी में अंग्रेजों ने की थी.