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जयपुर : राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज है कि सरकारी व्यवस्थाएं हांफ रही हैं। मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। जयपुर-कोटा में बेड फुल हो चुके हैं। जोधपुर में पिछले 18 दिन में 70 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं उदयपुर में इस दौरान 7 गुना मरीज बढ़े हैं। Rajsthan-corona-second-wave-than-in-the-first-wave-of-november-along-with-getting-infected-cases-death-is-also-happening-many-times-more-than-before-news-update

पिछले साल नवंबर में राजस्थान में कोरोना का पीक था। उस समय राज्य के हॉटस्पॉट जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर और भीलवाड़ा में संक्रमण के जितने केस मिल रहे थे, उसकी तुलना में इस बार आई दूसरी लहर में 3 से 4 गुना ज्यादा मामले आ रहे हैं। मौत का आंकड़ा भी पहली लहर की तुलना में 2-3 गुना ज्यादा है।

सीटी स्कैन से पकड़ में आ रही बीमारी
राजस्थान में इस बार कोरोना की स्थिति ये है कि मरीज दिखने में पूरी तरह स्वस्थ नजर आ रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर उसके फेफड़े संक्रमित हो रहे हैं। RTPCR रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, लेकिन छाती के सीटी स्कैन के बाद स्थिति साफ हो रही है। RTPCR निगेटिव आने के चलते ही ज्यादातर अस्पतालों में मरीज की मौत होने की वजह कोरोना नहीं लिखी जा रही है। बल्कि इसे ऑर्गन फेल्योर या दूसरी वजह बताकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यही वजह है कि 18 अप्रैल को जयपुर के RUHS सेंटर में कुल 21 मौतें हुई थीं, लेकिन आंकड़ों में 13 ही बताई गईं।

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जोधपुर में भी हालात बेकाबू, 7 दिन में 7,412 नए केस आए
राजधानी जयपुर में तो कोरोना की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 19 दिनों के अंदर ही ऑन रिकॉर्ड 70 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं जोधपुर में 17 अप्रैल को एक ही दिन में सबसे ज्यादा 17 लोगों की मौत हुई थी। वहीं संक्रमण की स्थिति देखें, तो यहां पिछले 7 दिन के अंदर 7,412 नए पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। यानी हर रोज औसतन 1,058 मरीज मिल रहे हैं।

उदयपुर में घर-घर सर्वे
उदयपुर में भी कोरोना की रफ्तार काफी तेज है। यहां पिछले साल नवंबर में जब कोरोना पीक पर था, तब हर रोज 80 से लेकर 180 के बीच संक्रमित मिलते थे। इस बार दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या 700 से 900 के बीच बनी हुई है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यहां प्रशासन ने घर-घर सर्वे शुरू कर दिया है। यहां एक्टिव केसों की संख्या 8,392 है, जिसके चलते तमाम अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं।

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कोटा में रेलवे अस्पताल में डायवर्ट किए मरीज
कोटा में भी हालात दिनों-दिन खराब होते जा रहे हैं। यहां भी संक्रमण की रफ्तार पहले पीक की तुलना में इस बार 3 गुना ज्यादा है। कोटा में 6,700 से ज्यादा एक्टिव केस हो चुके हैं। बीते तीन दिन से यहां हर रोज एक हजार से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। इससे पहले नवंबर में यहां पीक के समय 275 से 350 मरीज रोज आ रहे थे।

कोरोना की दूसरी लहर में यहां के तमाम सरकारी अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं। मजबूरन सरकार को अब नए मरीजों को रेलवे के अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ रहा है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए परेशान हो रहे हैं।

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