70th day of peasant movement:
70th day of peasant movement: "No return of law, no return home"; proclamation of farmer leaders

नई दिल्ली: किसान आंदोलन का 70वां दिन है. भारतीय किसान यूनियन BKU के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमने सरकार को अक्टूबर तक का समय दिया है। अगर सरकार हमें नहीं सुनती है तो हम 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ देशव्यापी ट्रैक्टर रैली करेंगे।’ इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा कि हमारा नारा है, ”कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं।” उन्होंने आगे बताया कि यह आंदोलन जल्द समाप्त नहीं होगा, बल्कि अक्टूबर तक चलेगा।

कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 2 महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान कानून वापसी से कम किसी भी चीज पर समझौता करने को राजी नहीं हैं, चाहे यह आंदलोन कितना भी लंबा क्यों न हो। 

किसान आंदोलन की धार को देखते हुए सरकार ने धरना स्थलों पर कील-कांटे, बैरिकेटिंग के जरिए किलेबंदी कर दी है। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह से उनका आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा, अगर अक्टूबर तक सरकार बात नहीं मानती है तो फिर किसान संगठन देशव्यापी ट्रैक्टर रैली करेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमने सरकार को अक्टूबर तक का समय दिया है। अगर सरकार हमें नहीं सुनती है तो हम 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ देशव्यापाी ट्रैक्टर रैली करेंगे।’ इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा कि हमारा नारा है, ”कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं।” उन्होंने आगे बताया कि यह आंदोलन जल्द समाप्त नहीं होगा, बल्कि अक्टूबर तक चलेगा।

कृषि कानूनों पर सरकार से बातचीत के सवाल पर राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पुलिस-प्रशासन द्वारा उत्पीड़न बंद नहीं होगा और गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहायी नहीं होगी, तब तक सरकार से नए कृषि कानूनों पर कोई बातचीत नहीं होगी।

बता दें कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य जगहों के किसान कानूनों के विरोध में पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग इन कानूनों को वापस लेने के अलावा, एमएसपी पर कानून बनाने की है। किसानों का दावा है कि सरकार ने ये कानून चंद उद्योगपतियों की मदद करने के लिए लाई है, जबकि केंद्र कानूनों को कृषि सेक्टर में सुधार लाने के लिए बताती रही है।

राकेश टिकैत ने हिंदुस्तान को बताया कि सरकार ने सड़कों पर कीलें ठोकने, कटीले तार लगाने, आंतरिक सड़क मार्गो को बंद करने, सीमेंट के बैरियर लगाने, भाजपा समर्थित लोगों से प्रदर्शन व हमला करना और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

26 जनवरी की ट्रैक्टर किसान परेड के बाद सैकड़ों किसान गायब हैं, उनका पता नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन से जुड़े कई ट्विटर एकाउंट व मोर्चा का एकाउंट बंद कर दिया गया। सरकार के इशारे पर एकाउंटों से फर्जी व भड़काउ पोस्ट को आरोप लगाते हुए ट्विटर ने 250 एकाउंट को बंद कर दिया था। 

उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि सरकार किसानों के प्रदर्शन को देशभर से मिल रहे समर्थन से डरी हुई है। इसलिए किसानों के उत्पीड़न पर उतारू है। मोर्चा ने कहा कि सरकार को दमनकारी नीति तुरंत बंद कर देनी चाहिए।

गैर कानूनी ढ़ग से पुलिस हिरासत में लिए गए किसानों को जब तक रिहा नहीं किया जाता है तब तक सरकार से कोई बातचीत नहीं होगी। सरकार को बातचीत के लिए महौल बनाना चाहिए। कील-कांटों के बीच बातचीत नहीं हो सकती है। 

मोदी सरकार को अक्टूबर तक का अल्टीमेटम, टिकैत बोले -देशभर में 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली निकालेंगे किसान

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन डेढ़ साल के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव बरकार है। एक फोन कॉल पर केंद्रीय मंत्री किसान संगठनों से बैठक का समय व स्थान तय कर देंगे।

सरकार व किसान संगठनों के बीच अंतिम बैठक गत 22 जनवरी को हुई थी। जिसमें सरकार की ओर से नए कानूनों को 18 माह के लिए रोक लगाने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन किसान संगठन इनको रद कराने की मांग पर अड़े हैं। इसके बाद एमएसपी पर गारंटी खरीद व दूसरी मांगों पर चर्चा करेंगे।

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