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 भारत की रूह अंधेरी राजनीति में खो गई है‘- द गार्जियन

भारतीय मतदाताओं ने लंबा और डरावना ख्वाबचुना‘- द न्यूयॉर्क टाइम्स

नई दिल्ली: यह वहीं

हेडलाइंस हैं जब मोदी मई 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बने। दुनिया के टॉप मीडिया हाउस ने नरेंद्र मोदी की जीत की बानगी कुछ यूं बयां की। दो साल बाद यानी मई 2021 में विदेशी मीडिया की तल्खी और बढ़ गई है। कोरोना की दूसरी लहर में सरकार नाकाम हुई तो विदेशी मीडिया भी सच्चाई खुलकर सामने रख रही है। हालिया उदाहरण फ्रांस के न्यूज पेपर ‘ले मोंडे’ Le Monde का है। आइए कुछ प्वाइंट्स में जानते हैं कि इस न्यूज पेपर ने अपने एडिटोरियल में देश की केंद्र सरकार के लिए क्या लिखा है.coronavirus-crises-narendra-modi-govt-targeted-by-french-media-house-le-monde-and-world-media-news

>>हर रोज 5 लाख नए कोरोना मरीज और 2000 से ज्यादा मौतें। ये स्थिति खतरनाक वायरस की वजह से है, लेकिन इसके पीछे भारतीय प्रधानमंत्री के घमंड, बड़बोलेपन और कमजोर प्लानिंग का भी हाथ है।

>>दुनियाभर में वैक्सीन एक्सपोर्ट करके ढिंढोरा पीटा। तीन महीने बाद खुद भारत में खौफ का मंजर देखने को मिला।

>>भारत के हालात आपे से बाहर हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की जरूरत है। 2020 में अचानक लॉकडाउन लगा और लाखों प्रवासी मजदूरों को शहर छोड़ना पड़ा। प्रधानमंत्री ने पिछले साल सिस्टम लॉक करके सब रोका और 2021 के शुरुआत में खुला छोड़ दिया।

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हर्ड इम्युनिटी 2023 तक भी मुश्किल
मेडिकल सिस्टम पर सिर्फ भाषण दिए गए। जनता की सुरक्षा के बजाय बेवजह उत्सव हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने स्थिति और बिगाड़ दी। राज्य के चुनाव में जीत के लिए प्रचार हुए जहां उन्होंने बिना मास्क के आई हजारों की भीड़ को संबोधित किया। कुंभ मेले को भी इजाजत दे दी। लाखों लोग इकट्ठा हुए और ये कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया।

PM मोदी का सभी को वैक्सीन देने का टार्गेट लेकिन देश की उत्पादन क्षमता की असलियत से वाकिफ नहीं हैं। राजनीतिक फायदा जहां से मिले वहां वैक्सीनेशन को प्राथमिकता दी गई ना कि जरूरत के मुताबिक। नतीजा ये कि अभी तक बमुश्किल 10% आबादी को वैक्सीन मिली है। यानी हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए जरूरी वैक्सीनेशन शायद 2023 तक भी पूरा न हो पाए।

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इस संकट को देखते हुए ये एकजुटता दिखाने का वक्त है। इस समय वो सब करना चाहिए जो उन लाखों लोगों के दुख को कम कर सके जो एक बार फिर भारत में गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं। अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पहले ही मदद भेजने का ऐलान कर दिया है।

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