makar-sankranti-2023-history-importance-and-significance-of-hindu-harvest-festival-news-update-today
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Makar Sankranti Festival 2023, History & Significance: भगवान सूर्य को समर्पित मकर संक्रांति का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है, हिंदू मान्यता के अनुसार यह एक फसल उत्सव है और इसे देश के अलग-अलग हिस्सो में कई नाम से जाना जाता है. यह मौसमी और धार्मिक त्योहार सूर्य की दिशा में परिवर्तन का प्रतीक है. दरअसल इस शुभ दिन से भगवान सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं जिससे धीरे-धीरे दिन लंबी होती रहती है और रात छोटी होती जाती है. हिन्दू मान्यता के अनुसार सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करके मिथुन राशि की ओर बढ़ने लगते हैं. जिस कारण मौसम धीरे-धीरे बदलने लगता है और ठंड का असर कम होने लगता है.

Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति का महत्व और अलग हिस्सो में इस पर्व का नाम

मकर संक्रांति का पर्व नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. इस शुभ पर्व के बाद से सर्दी के मौसम का अंत और धीरे-धीरे दिन के समय में वृद्धि और रात के समय में कमी देखने को मिलती है. सूर्य के उत्तर दिशा की ओर गमन को उत्तरायण कहा जाता है. माना जाता है कि यह मंगल समय होता है. हिंदू परंपरा में श्रद्धा रखने वाले लोग मकर संक्रांति को शुभ अवसर मानते है और वे इस त्योहार को सौभाग्य और समृद्धि के रूप में मनाते हैं. यह त्योहार सूरज देवता को समर्पित है. इसमें लोग भगवान सूर्य का तहे दिल से सम्मान करते हैं. मकर संक्रांति को असम में बिहू, तमिलनाडु में पोंगल और हरियाणा में सक्रत के रूप में मनाया जाता है. इंटरनेशनल लेवल पर भी मकर संक्रांति पर्व को मनाया जाता है. नेपाल में इसे माघ संक्रांति, थाईलैंड में सोंगक्रान और म्यांमार में थिंग्यान के रूप में मनाया जाता है.

Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति का शुभ मुहुर्त

इस बार मकर संक्रांति त्योहार देश भर में रविवार 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर शाम को 5 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगा. लुनार कैलेंडर का पालन करने वाले हिंदू आमतौर पर मकर संक्रांति उसी दिन मनाते हैं, जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं.

Makar Sankranti 2023: ऐसे मनाते हैं मकर संक्रांति

मकर संक्रांति को मनाने के लिए श्रद्धालु उस दिन सुबह भगवान सूर्य के उदय  से पहले उठते हैं. आमतौर पर इस शुभ दिन की शुरुआत श्रद्धालु पास के पवित्र नदियो जैसे गंगा, कावेरी या कृष्णा जैसी में डुबकी लगाकर करते हैं, जो लोग दूसरे देशों या शहरों में रहते हैं वे वहां की सुविधानुसार मकर संक्रांति के दिन की शुरूआत करते हैं. मान्यता है कि नदियों में डुबकी लगाने या इस दिन स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. श्रद्धालुओं को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन से शुरू होने वाले नए सवेरे का भी सौभाग्य प्राप्त होता है. स्नान के लिए लगी गई डुबकी प्रार्थना और मंत्रों के साथ होती है. इस शुभ दिन के अवसर पर बहुत से लोग दान करते हैं. बता दें कि ऐतिहासिक रूप से, वैदिक काल से ही भारत में भगवान सूर्य की पूजा की जाती रही है.

देश के अलग-अलग हिस्सो में मकर संक्रांति स्थानीय नाम, वहीं के व्यंजनों और पकवानों के साथ मनाई जाती है. इस अवसर पर बिहार में तिल का लड्डू और अन्य जगहों पर पायसम, पूरन पोली, पोंगल व उंधियू के साथ मनाई जाती है. हालांकि मकर संक्रांति के व्यंजनों में पूरे देश में तिल और गुड़ इस्तेमाल किया जाता है. इस शुभ दिन पर एक बेहद खास एक्टिविटी पतंगबाजी भी देखने को मिलती है.

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