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Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में करीब दो हफ्ते से फंसे 41 मजदूरों को बचाने में हो रही देरी के कारण ऑगर मशीन में बार-बार आ रही दिक्कतों के बीच राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने शनिवार को कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन ‘अगले 24 से 36 घंटे’ में फिर से शुरू हो सकता है. फिलहाल मशीनों को सुरंग के ऊपर एक प्लेटफॉर्म पर रखा जा रहा है.

मलबे में खुदाई के दौरान ऑगर मशीन में कई बाधाएं आने और रेस्क्यू पाइपों के अंदर टूट जाने के बाद बचावकर्मी अब सिल्कियारा सुरंग में हाथ से ड्रिलिंग जैसे अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. शनिवार सुबह 8 बजे जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार करीब 60 मीटर मलबे को तोड़ने के लिए इस्तेमाल की जा रही भारी ड्रिल मशीन शुक्रवार को क्षतिग्रस्त हो गई और उसे पूरी तरह से बाहर निकालने की जरूरत है. रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए एनडीएमए के सदस्य रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि सुरंग में 14 दिन से फंसे मजदूरों को बचाने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा है.

मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ढहे हिस्से में की जा रही ड्रिलिंग शुक्रवार रात पुन: रोकनी पड़ी, जो बचाव प्रयासों के लिए एक और झटका है. अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए 14वें दिन जिस ऑगर मशीन से ‘ड्रिल’ की जा रही थी, वह खराब हो गई है.

शुक्रवार को ड्रिलिंग बहाल होने के कुछ देर बाद ऑगर मशीन स्पष्ट रूप से किसी धातु की वस्तु के कारण बाधित हो गई. इससे एक दिन पहले अधिकारियों को ऑगर मशीन में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण बचाव कार्य को रोकना पड़ा था. शुक्रवार को कुछ देर की ड्रिलिंग से पहले 800 मिलीमीटर चौड़े इस्पात के पाइप का 46.8 मीटर हिस्सा ड्रिल किए गए मार्ग में धकेल दिया गया था. सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है.

मदजूरों तक भोजन और अन्य जरूरी चीजों की सप्लाई के लिए 6 इंच चौड़े ट्यूब को 57 मीटर तक पहुंचा दिया गया है. लगातार आ रही बाधाओं के कारण ऑगर मशीन से ड्रिलिंग और मलबे के बीच इस्पात का पाइप डालने का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. मजदूरों को इस पाइप से बाहर निकालने की योजना है. अधिकारी ने बताया कि ऐसे में 10 से 12 मीटर के शेष हिस्से की हाथ से ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसमें समय अधिक लगता है. अधिकारियों ने बताया कि एक लंबवत बचाव मार्ग बनाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं.

शनिवार की सुबह एक बड़ी ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी की ओर ले जाया गया, जहां वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एक्सपर्ट ने सबसे कम ऊंचाई वाले दो जगहों की पहचान की. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरंग के ऊपर तक 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही बना दी है, क्योंकि वर्टिकल ड्रिलिंग पर कुछ समय पहले से ही विचार किया जा रहा है.

अंतरराष्ट्रीय सुरंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कुछ दिन पहले कहा था कि वर्टिकल ड्रिलिंग अधिक समय लेने वाला और जटिल विकल्प है, जिसके लिए सुरंग के ऊपरी हिस्से पर अपेक्षाकृत संकीर्ण जगह के कारण अधिक सटीकता और सावधानी बरतने की आवश्कयता होती है.

सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजन मशीन से ड्रिलिंग में बार-बार बाधा आने और वांछित प्रगति नहीं मिल पाने के कारण धीरे-धीरे धैर्य खो रहे हैं. बिहार के बांका निवासी देवेंद्र किस्कू का भाई वीरेंद्र किस्कू सुरंग में फंसे श्रमिकों में शामिल है. देवेंद्र ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अधिकारी पिछले दो दिन से हमें भरोसा दिला रहे हैं कि उन्हें (फंसे हुए श्रमिकों को) जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे प्रक्रिया में देर हो जाती है.’’

सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था

चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे मजदूर मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं. श्रमिकों को 6 इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं. पाइप का इस्तेमाल करके एक संचार प्रणाली स्थापित की गई है और श्रमिकों के रिश्तेदारों ने उनसे बात की है. इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है, जिससे बचावकर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं.

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