मुंबई : भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के नेताओं का चरित्र ऐसा है कि चुनाव के दौरान वे जिन महापुरुषों का आशीर्वाद लेकर लोगों से वोट की भीख मांगते हैं, चुनाव के बाद उन्हीं महापुरुषों का अपमान करते हैं। ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र में रहकर यहां के महापुरुषों का अपमान करने को लेकर भाजपा नेताओं में होड़ लग गई है। भाजपा ने महापुरुषों का अपमान करने वाले अपने नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं शिष्टाचार के नाते भी भाजपा नेताओं ने अपने बयानों के लिए माफ़ी नहीं मांगी है । महापुरुषों का अपमान करने वाले राज्यपाल भी प्रधानमंत्री के बगल में गरिमा के साथ खड़ा हो जाते हैं । यह बात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कही है । उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि भाजपा नेताओं के खाने और दिखाने के अलग-अलग दांत हैं ।
इस संबंध में आगे बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के अलावा महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले का अपमान किया है। वहीं भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी छत्रपति शिवाजी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। पर्यटन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने शिवाजी महाराज के आगरा कैद से भागने की तुलना महाराष्ट्र के राजनीतिक बागियों से की थी। केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने छत्रपति महाराज के अकेले होने का जिक्र किया था। नाना पटोले ने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज और महात्मा फुले का लगातार अपमान किया जा रहा है। इस वजह से राज्य की जनता में काफी आक्रोश है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि उनका पुरजोर तरीके से बचाव किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता महापुरुषों के बारे में बयान देने की सारी सीमाओं को लांघ रहे हैं ।महापुरुषों का अपमान करने वाले राज्यपाल कोश्यारी नागपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बगल में बैठे थे। अगर महापुरुषों का अपमान करने वाले नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी ने चार कड़े शब्द सुनाए होते तो हम उनका सम्मान करते, लेकिन यह कहते हुए दुख हो रहा है कि भाजपा अपने नेताओं को महापुरुषों से बड़ा समझती है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह महापुरुषों को बदनाम करने की भाजपा की सुनियोजित साजिश है और राज्यपाल महापुरुषों को बदनाम करने का भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं।
चंद्रकांत पाटिल ने खोया मानसिक संतुलन; इलाज की जरूरत
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल के मुताबिक महात्मा फुले, कर्मवीर भाऊराव पाटील, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने शिक्षण संस्थान को चलाने के लिए भीख मांगी थी। जिन महापुरुषों ने समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। उनके बारे में इस तरह का बयान शर्मनाक है । पटोले ने कहा कि पाटिल के इस बयान को लेकर लोगों गुस्सा भी फूट पड़ा है। पिंपरी चिंचवाड़ में एक कार्यकर्ता ने पाटिल पर स्याही फेंकी। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के विरोध का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन इस घटना के बाद दस पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और घटना का वीडियो बनाने और कवर करने वाले पत्रकार को धारा 307 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। पटोले ने पूछा है कि क्या चंद्रकांत पाटिल महापुरुषों से बड़े हैं? क्या उस पत्रकार पर इतनी सख्त पाबंदियां लगाना वाकई जरूरी था? उन्होंने कहा कि इस तरह बदला लेने की प्रवृति से काम करने वाली सरकार का कड़ा विरोध होना चाहिए। पटोले ने कहा कि जिस तरह स्याही फेकने के मामले में कारवाई हुई है . इसी तरह भाजपा नेताओं के खिलाफ बार – बार महापुरुषों का अपमान करने के मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की गई ।
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पटोले ने कहा कि चंद्रकांत पाटिल ने मेरे अलावा कई राजनीतिक नेताओं पर भी हमला बोला है। उन्होंने मुझे मेरा नाम लेकर बहस करने की चुनौती दी। पटोले ने कहा कि चंद्रकांत पाटिल के गुस्से को देखते हुए लगता है कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है । हम लोगों को उनकी चिंता हो रही है। पाटिल को जल्द से जल्द किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए। मैं प्रार्थना करता हूं कि गणपति बप्पा चंद्रकांत पाटिल और भाजपा के नेताओं को सद्बुद्धि दें ताकि वे इस तरह की हरकतों से बाज आएं ।