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नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली Tractor Rally Violence के दौरान हिंसक हो गए. इन प्रदर्शनकारियों ने लाल किले तक पर जमकर हंगामा किया Republic Day Violence और पुलिस वालों को जान बचाकर भागना पड़ा. इस बीच एक नाम फिर से चर्चा में आ गया है- दीप सिद्धू Deep Sidhu पंजाबी फिल्मों में कलाकार सिद्धू ही वह शख्स थे, जिन्होंने लाल किले Red Fort की प्राचीर से कुछ दूरी पर लगे गए पोल पर निशान साहिब और किसान यूनियन का झंडा लगाया था. इस पूरी घटना के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा SKM के कुछ नेताओं का कहना है कि सोमवार रात के बाद से मंगलवार सुबह तक उनके मंच पर कई अराजक तत्वों ने कब्जा कर लिया था. इन अराजक लोगों ने किसानों को रूट को लेकर भड़काया और कहा कि ‘हमारा रूट- रिंग रोड.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग छह घंटे तक यानी सोमवार शाम 6 बजे से आधी रात तक, युवाओं के एक समूह ने एसकेएम नेताओं और दिल्ली पुलिस के बीच जिस रूट पर सहमति बनी थी उसका विरोध करने के लिए मंच पर कब्जा कर लिया. शुरू में मंच पर कुछ अनजाने चेहरे थे.

इनकी मांग थी कि एसकेएम नेता मंच पर आकर ट्रैक्टर परेड के लिए तय किए गए मार्ग के बारे में उनके सवालों का जवाब दें, लेकिन बाद में कुछ जाने-माने चेहरे, जैसे गैंगेस्टर से नेता बने लखबीर सिंह सिधाना उर्फ लक्खा सिधाना (40) और पंजाबी फिल्म अभिनेता दीप सिद्धू ने भीड़ को संबोधित किया.

सिद्धू ने अपने भाषण में कहा, ‘हमारा नेतृत्व दबाव में है. हमें उन पर अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए. लेकिन हम उन्हें ऐसा निर्णय लेने के लिए कह सकते हैं जो सभी को स्वीकार्य हो. उन्हें मंच पर आना चाहिए. अगर वे मंच पर नहीं आते हैं, तो हम फैसला करेंगे. आप सभी को यह तय करना चाहिए कि उस मामले में फैसला किसे लेना चाहिए.’

वहीं सिधाना ने सभा में कहा था, ‘हजारों युवा रिंग रोड पर जाना चाहते हैं. किसान मजदूर संघर्ष समिति ने रिंग रोड पर जाने का फैसला किया है. वे हमारे आगे विरोध कर रहे हैं, इसलिए हमारे ट्रैक्टर उनके पीछे होंगे. इसलिए अगर कोई रिंग रोड पर जाना चाहता है, तो वे किसान मजदूर संघर्ष समिति के पीछे जाए… फिर मुद्दा क्या है? आप शांत हो जाएं.’

 देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया- सिद्धू
वहीं लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराये जाने की घटना के दौरान मौजूद रहे अभिनेता दीप सिद्धू ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कह कर बचाव किया कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ‘निशान साहिब’ को लगाया था. ‘निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है.

सिद्धू ने फेसबुक पर पोस्ट किये गए एक वीडियो में दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है. सिद्धू ने कहा, ‘नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने ‘निशान साहिब’ और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया.’ उन्होंने ‘निशान साहिब’ की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की ‘विविधता में एकता’ का प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने कहा कि लालकिले पर ध्वज-स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया.

गौरतलब है कि सिद्धू और उनके भाई, मनदीप सिंह को इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा नोटिस भेजी गई थी. उन्हें सिख फॉर जस्टिस के खिलाफ दायर एक मामले के सिलसिले में नोटिस भेजी गई थी. वहीं साल 2012 के विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले सिधाना को कई जघन्य मामलों में बरी कर दिया गया था. उन्हें युवाओं को किसानों के आंदोलन से जोड़ने की कड़ी के तौर पर देखा जाता है.

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