नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ अपने आंदोलन को और मजबूत करने के लिए आज सोमवार, 27 सितंबर को किसान संगठनों ने भारत बंद (Bharat Bandh) है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेतृत्व के तहत 40 किसान संगठनों ने 27 सितंबर को भारत बंद करने की लोगों से अपील की है। भारत बंद का आह्वान सुबह 06 बजे से शाम 04 बजे तक किया गया है। विपक्षी दल भी अब कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की जंग में शामिल होंने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस और माकपा से लेकर राकांपा और तृणमूल कांग्रेस सरीखे विपक्षी दलों ने किसान संगठनों के 27 सितंबर को बुलाए गए भारत बंद के समर्थन का एलान कर इस मुद्दे पर सरकार की राजनीतिक घेरेबंदी पर फोकस बढ़ाने के इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। अब तक किसान संगठनों को नैतिक समर्थन दे रहे विपक्षी खेमे के कई दलों ने तो इस बंद के समर्थन में सड़क पर उतरने का भी एलान कर दिया है।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के 10 माह पूरे
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन के भी 26 सितंबर यानि आज को 10 महीने हो जाएंगे। किसानों का कहना है कि भारत बंद से उनका यह किसान आंदोलन और मजबूत होगा। एसकेएम ने कहा है कि समाज के विभिन्न वर्गों को देश के विभिन्न हिस्सों में किसान संगठनों द्वारा किसानों के समर्थन और एकजुटता के लिए संपर्क किया जा रहा है, जो भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक आंदोलन से साथ जुड़े हैं।
इन राज्यों में बंद का दिखेगा असर
भारत बंद का असर उन राज्यों में अधिक दिखाई दे सकता है जहां विपक्ष की सरकार है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के अलावा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी खुलकर इस बंद में किसान संगठनों के साथ शामिल होने की घोषणा पहले ही कर दी है। बिहार में राजद के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव ने बंद के दौरान तीनों कृषि कानून रद कराने के लिए सड़क पर उतरने की घोषणा की है। आंध्र प्रदेश में तेदेपा, दिल्ली में आम आदमी पार्टी, कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में सत्ताधारी द्रमुक जैसे दलों ने भी बंद का समर्थन करने का एलान करते हुए केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है।