Teacher's Day Dr.Sarvepalli Radhakrishnan APJ Abdul Kalam article
Teacher's Day Dr.Sarvepalli Radhakrishnan APJ Abdul Kalam article

लेखिका : श्रीमती. मेहराज इसाक पटेल Teacher’s Day : देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्लीष राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्‍मदिवस, हर साल 5 सितम्बर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन देश के महान विद्वान और शिक्षक थे। किसी भी इंसान के जीवन में शिक्षक का रोल बेहद अहम होता है, वो शिक्षक जरूरी नहीं है कि आपके स्कूल, कॉलेज या अन्य शिक्षण संस्थान के हों, बल्कि एक शिक्षक आपके पेरैंट्स, दोस्त, भाई-बहन कोई भी हो सकता है जो आपके पथ-प्रदर्शक के रूप में काम करता है। देश और समाज को बेहतर बनाने में एक शिक्षक बड़ी अहम भूमिका अदा करते हैं।

डॉ. अब्दुल कलाम थे छात्रों के प्रिय शिक्षक

डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन खुद दर्शन शास्त्र के शिक्षक थे जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान पर भी काफी बल दिया था। भारत के पूर्व राष्ट्रपति  डॉ कलाम जिन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है उनका भी शिक्षा के क्षेत्र में काफी अहम योगदान है। बच्चों से बेहद प्यार करने वाले कलाम कई शिक्षण संस्थाओं में गेस्ट लेक्चरर भी रहे। कलाम मानते थे कि डिग्री लेने के बजाय बच्चों को अपनी पर्सनल स्किल बढ़ानी चाहिए जिससे उनका भविष्य बेहतर बन सकेगा।

कलाम का वह भाषण 2003 में शिक्षक दिवस से ठीक पहले राष्ट्रपति के रूप में कलाम (APJ Abdul Kalam) ने एक ऐसा भाषण दिया था जिसकी चर्चा हमेशा होती है। इस भाषण में कलाम कहते हैं, ‘सबसे पहले मैं आपसे एक शिक्षक के रूप में अपने पिता जनाब अबुल पकिर जैनुलाबदीन के बारे में बात करने जा रहा हूँ। जब मैं छोटा था तब मेरे पिता ने मुझे बहुत अच्छा सबक सिखाया। वह सबक क्या था? भारत को आजादी मिलने के ठीक बाद की बात है। उस समय रामेश्वरम में पंचायत बोर्ड के चुनाव हुए थे। मेरे पिता पंचायत बोर्ड के सदस्य चुने गए और उसी दिन वे रामेश्वरम पंचायत बोर्ड के अध्यक्ष भी चुने गए। रामेश्वरम द्वीप 30,000 आबादी वाला एक खूबसूरत स्थान था। उस समय उन्होंने मेरे पिता को पंचायत बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में चुना था, इसलिए नहीं कि वह एक विशेष धर्म या एक विशेष जाति के थे या एक विशेष भाषा या अपनी आर्थिक स्थिति के लिए बोलते थे। उनका चयन केवल उनके बड़प्पन के आधार पर और एक अच्छे इंसान होने के लिए किया गया था।’

गिफ्ट लेने पर गुस्सा हो गए थे पिता इसी स्पीच में कलाम आगे कहते हैं, ‘जिस दिन वे पंचायत बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए थे। मैं उस समय स्कूल में पढ़ रहा था। उन दिनों हमारे पास बिजली नहीं थी और हम राशन केरोसिन लैंप के नीचे पढ़ाई करते थे। मैं जोर से पाठ पढ़ रहा था और मैंने दरवाजे पर दस्तक सुनी। हम उन दिनों रामेश्वरम में कभी दरवाजा बंद नहीं करते थे। किसी ने दरवाज़ा खोला, अंदर आया और मुझसे पूछा कि मेरे पिता कहाँ हैं? मैंने उसे बताया कि पापा शाम की नमाज के लिए गए थे। फिर उस ने कहा, मैं उसके लिये कुछ लाया हूं, क्या मैं इसे यहां रख सकता हूं? चूंकि मेरे पिता नमाज के लिए गए थे, इसलिए मैंने अपनी से चीखते हुए कहा कि वह सामान को रख ले। चूंकि वह भी नमाज पर थी इसलिए कोई जवाब नहीं आया। मैंने उस व्यक्ति को खाट पर सामान छोड़ने के लिए कहा। इसके बाद मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। बाद में पिताजी आए तो उन्होंने देखा कि उस पैकेट में महंगी धोती, अंगवस्त्रम, कुछ फल और कुछ मिठाइयाँ थीं। मुझे यह देखकर खुशी हुई लेकिन मेरे पिता गुस्सा हो गए थे। पहली बार उन्होंने मुझे पीटा और मेरे आंसू निकल आए। मेरी मां ने मुझे गले लगाकर चुप कराया। तब मेरे पिता ने कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि बेटा बिना अनुमति के कोई गिफ्ट ना लें। यह अच्छी आदत नहीं है।’

गिफ्ट की तुलना सांप से इस घटना के बारे में कलाम ने कहा था, ‘उपहार हमेशा किसी न किसी उद्देश्य के लिए दिया जाता है और उपहार एक खतरनाक चीज है। यह सांप को छूने और बदले में जहर लेने जैसा है। जब मैं अपने सत्तर के दशक में हूं तब भी यह बात मेरे दिमाग में हमेशा रहती है। इस घटना ने मुझे अपने जीवन के लिए एक बहुत ही मूल्यवान सबक सिखाया। यह मेरे दिमाग में गहराई से समाया हुआ है। मैं मनु स्मृति के उन लेखों का भी उल्लेख करना चाहूंगा जिनमें कहा गया है कि “उपहार स्वीकार करने से व्यक्ति में दिव्य प्रकाश बुझ जाता है”।

कलाम के मंत्र कलाम कहते हैं, ‘मेरे जीवन में तीन शिक्षकों ने मुझे क्या दिया? एकीकृत रूप में यह कहा जा सकता है कि कोई भी प्रबुद्ध मनुष्य तीन विशिष्ट विशेषताओं की बदौलत जीवन में आगे बढ़ता है, जिसमें एक है नैतिक मूल्य प्रणाली,  जो मुझे अपने पिता से कठिन तरीके से मिला है। दूसरे, शिक्षक एक रोल मॉडल होता है, छात्र न केवल सीखता है, बल्कि शिक्षक उसके जीवन को महान सपनों और लक्ष्यों के साथ आकार देता है। अंत में, शिक्षा और सीखने की प्रक्रिया को पेशेवर क्षमता के निर्माण में परिणत करना है जिससे आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति पैदा करने, कई समस्याओं का बहादुरी से मुकाबला करने के लिए प्रेरित करती है।’

Teacher’s Day: 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानें इसका इतिहास और उद्देश्य

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था। वे एक विद्वान शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के चालीस साल एक शिक्षक के रूप में भारत के भविष्य को बेहतर बनाने में लगाए। शिक्षक के रूप में उनके योगदान और बहुमूल्य कार्यों को याद करने के लिए हर वर्ष उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है

शिक्षक हमेशा हमें गाइड करते है, प्रेरणा देते हैं और समाज में हमें एक अच्छा नागरिक बनाते हैं. शिक्षक हमारे जीवन की नींव होते हैं. कहा जाता है कि किसी भी बच्चे के लिए सबसे पहले स्थान पर उसके माता-पिता और फिर दूसरे स्थान पर शिक्षक होता है. हर साल 5 सितंबर को शिक्षकों को सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाया जाता है. यह देश के शिक्षकों के सम्मान, सम्मान और सम्मान का दिन है. शिक्षक, विद्वान और दार्शनिक और भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में पूरा देश उत्साह के साथ मनाता आ रहा है.

 1962 में, जब उन्होंने भारत के राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया, तब उनके कुछ छात्र व मित्र उनके पास पहुंचे और उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें अपना जन्मदिन मनाने की अनुमति दें. उन्होंने उत्तर दिया कि मेरे जन्मदिन को अलग से मनाने के बजाय इस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए गौरवपूर्ण सौभाग्य होगा. तब से उनकी जयंती यानी 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा. देश के पहले उप-राष्ट्रेपति डॉ राधाकृष्णथन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे. राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल 1975 को हुआ था.

शिक्षक दिवस का दिन काफी महत्व रखता है, क्योंकि सभी शैक्षणिक संस्थानों के छात्र अपने सभी शिक्षकों के प्रति आभार और सम्मान दिखाते हैं. इस दिन शिक्षकों को समाज के विकास में उनके अनकहे योगदान के लिए भी सम्मानित किया जाता है. हर साल इस दिन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है.

यह पुरस्कार देश के राष्ट्रपति देते हैं. स्कूलों में, छात्र अपने शिक्षकों के लिए नृत्य और गायन प्रदर्शन, कार्यक्रम और नाटक प्रस्तुत करते हैं. छात्र प्रशंसा के प्रतीक के रूप में अपने पसंदीदा शिक्षक को गुलाब, हस्तनिर्मित कार्ड और उपहार भी देते हैं.

यह पुरस्कार देश के राष्ट्रपति देते हैं. स्कूलों में, छात्र अपने शिक्षकों के लिए नृत्य और गायन प्रदर्शन, कार्यक्रम और नाटक प्रस्तुत करते हैं. छात्र प्रशंसा के प्रतीक के रूप में अपने पसंदीदा शिक्षक को गुलाब, हस्तनिर्मित कार्ड और उपहार भी देते हैं.

शिक्षक दिवस को चीन से लेकर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, इंडोनेशिया, ईरान, मलयेशिया, ब्राजील और पाकिस्तान तक शामिल हैं. हालांकि हर देश में इस दिवस को मनाने की तारीख अलग-अलग है. जैसे कि- चीन में 10 सितंबर तो अमेरिका में छह मई, ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर के अंतिम शुक्रवार, ब्राजील में 15 अक्तूबर और पाकिस्तान में पांच अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

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