Supreme Court order on stays implementation of three farm laws news-updates-today
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नई दिल्ली : तीन नए कृषि कानूनों farm laws को चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने तीनों कानून अमल में लाने पर रोक लगा दी Supreme Court stays implementation of three farm laws साथ ही इस मुद्दे पर बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी भी बनाई है। sets up 4-member committee to break deadlock

कमेटी में ये लोग शामिल
1. जितेंद्र सिंह मान, प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन
2. डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
3. अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट
4. अनिल धनवत, शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र

इससे पहले बहस के दौरान पिटीशनर वकील एमएल शर्मा ने कहा- सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमेटी के सामने पेश होने से किसानों ने इनकार कर दिया है।

किसानों का कहना है कि कई लोग चर्चा के लिए आ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री सामने नहीं आ रहे। इस पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा- प्रधानमंत्री को नहीं बोल सकते, इस मामले में वे पार्टी नहीं हैं।

कोर्टरूम

चीफ जस्टिस: हम कानून के अमल को अभी सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन बेमियादी तौर पर नहीं। हमें कमेटी में यकीन है और हम इसे बनाएंगे। यह कमेटी न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी। कमेटी इसलिए बनेगी ताकि तस्वीर साफ तौर पर समझ आ सके।

हम यह दलील भी नहीं सुनना चाहते कि किसान इस कमेटी के पास नहीं जाएंगे। हम मसले का हल चाहते हैं। अगर किसान बेमियादी आंदोलन करना चाहते हैं, तो करें।

जो भी व्यक्ति मसले का हल चाहेगा, वह कमेटी के पास जाएगा। कमेटी किसी को सजा नहीं सुनाएगी, न ही कोई आदेश जारी करेगी।

वह सिर्फ हमें रिपोर्ट सौपेंगी। यह राजनीति नहीं है। राजनीति और ज्यूडिशियरी में फर्क है। आपको को-ऑपरेट करना होगा।

एमएल शर्मा (कृषि कानूनों को चुनौती देने वाले मुख्य पिटीशनर): जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस जीएस सिंघवी कमेटी में शामिल किए जा सकते हैं। हालांकि, किसान कह रहे हैं कि कई लोग चर्चा करने आए, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं आए, जो मुख्य व्यक्ति हैं।

चीफ जस्टिस: हम प्रधानमंत्री से बैठक में जाने को नहीं कह सकते। प्रधानमंत्री के दूसरे ऑफिशियल यहां पर मौजूद हैं।

एमएल शर्मा: नए कृषि कानून के तहत अगर कोई किसान कॉन्ट्रैक्ट करेगा तो उसकी जमीन बेची भी जा सकती है। यह मास्टरमाइंड प्लान है। कॉर्पोरेट्स किसानों की उपज को खराब बता देंगे और हर्जाना भरने के लिए उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ जाएगी।

चीफ जस्टिस: हम अंतरिम आदेश जारी करेंगे कि कॉन्ट्रैक्ट करते वक्त किसी भी किसान की जमीन नहीं बेची जाएगी।

एपी सिंह (भारतीय किसान यूनियन-भानू के वकील): किसानों ने कहा है कि वे बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों को वापस भेजने को तैयार हैं।

चीफ जस्टिस: हम रिकॉर्ड में लेकर इस बात की तारीफ करना चाहते हैं।

विकास सिंह (किसान संगठनों के वकील): किसानों को अपने प्रदर्शन के लिए प्रमुख जगह चाहिए, नहीं तो आंदोलन का कोई मतलब नहीं रहेगा। रामलीला मैदान या बोट क्लब पर प्रदर्शन की मंजूरी मिलनी चाहिए।

चीफ जस्टिस: हम अपने आदेश में कहेंगे कि किसान दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से रामलीला मैदान या किसी और जगह पर प्रदर्शन के लिए इजाजत मांगें।

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एक अर्जी में कहा गया है कि एक प्रतिबंधित संगठन किसान आंदोलन में मदद कर रहा है। अटॉर्नी जनरल इसे मानते हैं या नहीं?

केके वेणुगोपाल (अटॉर्नी जरनल): हम कह चुके हैं कि आंदोलन में खालिस्तानियों की घुसपैठ हो चुकी है।

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